सभी प्यारे दोस्तों को नमस्कार, दोस्तों आज की इस पोस्ट में आपको BSTC व PTET, के लिए शिक्षण अभिरुचि का महत्वपूर्ण टॉपिक विचार सम्प्रेषण को विस्तार से बताया गया है | दोस्तों प्रत्येक वर्ष BSTC व PTET एग्जाम में शिक्षण शब्दावली से संबधित 10 से 15 नंबर के सवाल पूछे जाते है | जिन्हें आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ कर आसानी से हल कर सकते है | इसलिए इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े | और यदि आपको लगता है की यह पोस्ट वास्तव में ज्ञानवर्धक है तो अपने मित्रो के साथ शेयर करना मत भुलाना |
Teaching Aptitude Notes for BSTC and PTET Exam
विचार संप्रेषण
- संप्रेषण अथवा कम्युनिकेशन शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के शब्द कम्युनिश से कम्युनिश का अर्थ बांटना अथवा समाचार देना होता है |
- विचार संप्रेषण: अपने विचार ज्ञान अवबोध तथा कौशल को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाने की तरह ही विचार संप्रेषण है
- “संप्रेषण दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य तथ्यों विचारों समितियों अथवा भावनाओं का आदान-प्रदान है” - न्यूमैन तथा समर
- “संप्रेषण वह प्रक्रिया है जिसमें संदेश एवं समाज को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाया जाता है” - किथ डेविस
- शिक्षक संप्रेषण के माध्यम से ज्ञान अवबोध कौशल छात्रों तक संप्रेषित करता है
विचार संप्रेषण के दो पक्ष
- संप्रेषणकर्ता : विचार ज्ञान तथा कुशल का संप्रेषण करने वाला उदाहरण के लिए कक्षा में अध्यापक संप्रेषण करता का काम करता है
- संप्रेषिति : विचार ज्ञान तथा कुशल को ग्रहण करने वाले कक्षा कक्ष में छात्र संप्रेषिति ही होते हैं |
संप्रेषणकर्ता की तैयारी की तीन अवस्था
- पूर्व अवस्था : यह अध्यापक की तैयारी की अवस्था होती है
- संप्रेषण : की अवस्था
- उत्तर अवस्था : संप्रेषण की अवस्था में अध्यापक संप्रेषण की सफलता का मूल्यांकनकरता है उसके द्वारा दिया गया ज्ञान कौशल छात्र ग्रहण कर पाए या नहीं
संप्रेषण प्रभावी कैसे हो ?
- संप्रेषण प्रजातांत्रिक हो : वह विचार संप्रेषण प्रभावी होगा जिसमें लोकतांत्रिक पद्धति का इस्तेमाल किया जाता है इस प्रकार के संप्रेषण में अध्यापक तथा छात्र के मध्य परस्पर विचारों का आदान-प्रदान होता है छात्रों को अपनी शंकाओं को दूर करने का मौका इस प्रकार के संप्रेषण में मिलता है
- भाषा शैली : संप्रेषण में भाषा शैली का महत्वपूर्ण स्थान होता है प्राथमिक कक्षा के छात्रों में विचार संप्रेषण उन्हीं को स्थानीय भाषा में करना चाहिए विचार संप्रेषण में “छात्र को छात्र की भाषा में ही समझाया जाए” सिद्धांत का पालन करना चाहिए उदाहरण के लिए प्रथम एवं द्वितीय कक्षा के छात्र जिनका तालुकात राजस्थान के ग्रामीण परिवेश से है उनको अंग्रेजी माध्यमिक शिक्षण संभव नहीं है |
- संप्रेषणकर्ता की भाषा बोधगम्य में अर्थात ग्रहण करने योग्य सरस एवं सरल होनी चाहिए |
- संप्रेषण के लिए संकेत एवं इशारे भी इस्तेमाल किए जाते हैं |
- संप्रेषण मौन भी हो सकता है | उदाहरण के लिए कक्षा में शोर गुल आवाज में छात्र बात कर रहे हैं अध्यापक कक्षा में आकर एक पल के लिए मौन होता है तो कक्षा में खामोशी छा जाती है यह मोहन संप्रेषण का उदाहरण है
- संप्रेषण सुनियोजित हो कभी-कभी अध्यापक कक्षा को लंबे समय तक अनावश्यक व्यस्त रखता है लेकिन अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पाता क्योंकि अध्यापक संप्रेषण एक प्रभावी नीति के तहत नहीं करवाता है
- विभिनता का ज्ञान : एक कक्षा में विभिन्न बुद्धि लब्धि वाले छात्र होते हैं | सामान्य कमजोर एवं बुद्धिमान सभी छात्रों को साथ लेकर अध्यापक को चलना होता है इसलिए संप्रेषण के समय अध्यापक छात्रों की विभिन्नता का ध्यान रखें तो उसका संप्रेषण प्रभावी होगा |
- शारीरिक रूप से विभिन्नता : कक्षा में शारीरिक रूप से विकलांग छात्र भी होते हैं उनकी इस विभिनता का ध्यान रखकर यदि शिक्षण कराया जाए तो संप्रेषण प्रभावी होगा उदाहरण के लिए एक छात्र जो दूर दृष्टि दोष से ग्रसित है को दूर से वस्तु साफ नजर आती है ऐसी स्थिति में छात्र को यदि अध्यापक कक्षा में पीछे बैठता है तो उसे श्यामपट्ट साफ नजर आएगा और संप्रेषण प्रभावी होगा इसी प्रकार ऊंचे सुनाई देने वाले छात्र को अध्यापक आगे की पंक्ति में बैठाकर संप्रेषण को प्रभावी बना सकता है |
- समय : किसी भी प्रकार के संप्रेषण के लिए एक उचित समय की जरूरत होती है लेकिन अध्यापक किसी प्रकरण को अनावश्यक रूप से लंबा खींचता है या पाठ के लिए जरूरत से कम समय लेता है तो संप्रेषण प्रभावित होगा |
- प्रेरणा : एक अध्यापक द्वारा पढ़ाए गए प्रकरण छात्र कितना ग्रहण कर पाता है यह इस पर भी बहुत निर्भर करता है कि अध्यापक छात्रों को ऐसा ज्ञान देते समय कितना प्रेरित करता है कितना उनका उत्साहवर्धन करता है
- उपयुक्त शिक्षण विधि का चयन : शिक्षण विधि का चयन भी संप्रेषण को प्रभावित करता है
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