नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से आपको राजस्थान सामान्य ज्ञान का महत्वपूर्ण टॉपिक राजस्थान के रास्ट्रीय उद्यान एव वन्य जीव अभ्यारण्य के बारे में बताने वाला हूँ | इस पोस्ट में मैंने राजस्थान के रास्ट्रीय उद्यान एव वन्य जीव अभ्यारण्य टॉपिक को बहुत अच्छे से समझाया है |
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राजस्थान के रास्ट्रीय उद्यान एव वन्य जीव अभ्यारण्य नोट्स |
Table of content (toc)
राजस्थान के रास्ट्रीय उद्यान एव वन्य जीव अभ्यारण्य
रणथंबोर (सवाई माधोपुर)
- यह देश का सबसे छोटा बाघ अभ्यारण है, जिसे भारतीय बघो का घर कहते हैं।
- राज्य में सर्वप्रथम बाघ परियोजना यहीं से शुरू की गई।
- इसे 1955 में वन्यजीव अभयारण्य तथा अप्रैल 1974 में टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट मैं शामिल किया गया।
- 1 नवंबर 1980 में राज्य का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
- यहां पर 1960 में एलिजाबेथ, 1985 में राजीव गांधी, 2000 में बिल क्लिंटन तथा 2005 में मनमोहन सिंह घूमने आ चुके हैं।
- इस अभयारण्य में दुर्लभ काला गरुड़ व रेटेड तीतर पाए जाते हैं।।
- राजस्थान में बाघ परियोजना का जन्मदाता/ राजस्थान का टाइगर मैन कैलाश सांखला है।
केवलादेव (घाना) पक्षी विहार ,भरतपुर
- यह अभयारण्य भारत के प्रमुख पर्यटक परिपथ सुनहरा त्रिकोण परिपथ एवं राष्ट्रीय राजमार्ग 11 पर स्थित है।
- राजस्थान के पूर्वी सिंह द्वार भरतपुर में गंभीर व बाणगंगा नदियों के संगम पर स्थित है।
- इसका निर्माण किशन सिंह ने स्विजरलैंडलै की झीलों के आधार पर करवाया।
- इसे 1956 में पक्षी अभयारण्य, 26 अगस्त 1981 में राष्ट्रीय उद्यान तथा 1985 में यूनेस्को द्वारा विश्व प्राकृतिक धरोहर की सूची में शामिल किया गया।
- इसके मध्य में शिव( केवलादेव) का मंदिर है, इसलिए इसका नाम केवलादेव अभयारण्य पड़ा।
- यह अभयारण्य एशिया की सबसे बड़ी पक्षियों की प्रजनन स्थली है।
- इस अभयारण्य को पक्षियों का स्वर्ग( पक्षी अभयारण्य) कहते हैं।
- यहां पर साइबेरियन सारस व लाल गर्दन वाले दुर्लभ तोते पाए जाते हैं।
- यहां पर हाल ही में राज्य की प्रथम वन्यजीव प्रयोगशाला स्थापित की जा रही है।
दर्रा (मुकुंदरा हिल्स) कोटा-झालावाड़
- यह कोटा झालावाड़ में स्थित है।
- जिसका 2003 में दर्रा अभयारण्य नाम से बदलकर राजीव गांधी नेशनल पार्क रखा ।
- 2006 में वसुंधरा सरकार ने इसका मुकुंदरा हिल्स पार्क नाम रखकर राष्ट्रीय उद्यान का स्तर प्रदान करने का प्रस्ताव पारित किया परंतु को केंद्र सरकार ने मंजूरी नहीं दी।
- इस अभयारण्य में गागरोन /हीरामन तोता/ हिंदुओं का आकाश लोचन( मनुष्य की आवाज में बोलने वाला) पाए जाते हैं।
- इस अभयारण्य में अबली मीणी का महल( राजस्थान का दूसरा ताजमहल), गुप्तकालीन हूंणों का शिव मंदिर स्थित है।
- 9 जनवरी 2012 को यह राज्य का तीसरा राष्ट्रीय उद्यान तथा 11 अप्रैल 2013 को तीसरा टाइगर प्रोजेक्ट घोषित किया गया।
राज्य के वन्यजीव अभयारण्य
राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य
- कोटा में 1979 में स्थापित।
- इसे घड़ियालो की प्रजाति को सुरक्षित करने के लिए "घड़ियालो का संसार" नाम से जाना जाता है।
- राज्य का एकमात्र जलीय अभयारण्य है, जो अंतर्राज्यीय अभयारण्य है। जो राजस्थान, मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश में फैला हुआ है।
- इस अभयारण्य में ऊदबिलाव एवं गांगेय सूप जैसे स्तनधारी जीव पाए जाते हैं।
भैस रोड गढ़ वन्य जीव अभयारण्य( चित्तौड़गढ़)
- रावतभाटा चित्तौड़गढ़ में राणा प्रताप सागर बांध पर स्थित है।
- इसमें चंबल व बामणी नदियों का संगम होता है।
सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य (प्रतापगढ़ व चित्तौड़गढ़)
- सर्वाधिक जैव विविधता वाले इस अभयारण्य को चो सिंगे की शरण स्थली/ मातृभूमि व उड़न गीलहरियों का स्वर्ग के नाम से जाना जाता है।
- सर्वाधिक सांगवान के वन इसी अभ्यारण में पाए जाते हैं।
- यह अभयारण्य अरावली व विंध्याचल पर्वतमाला तथा मालवा के पठार के संगम स्थल पर है।
माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य (सिरोही)
- यह राज्य का एकमात्र पहाड़ी पर स्थित अभयारण्य है।
- जो जंगली मुर्गों, भालुओं, एवं डिकिल पेटरा हेतु प्रसिद्ध है।
- वर्तमान में यह अभयारण्य की गिनती में नहीं आता है।
- ग्रीन मुनिया नामक चिड़िया आबू पर्वत पर मिलती है।
कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य
- यह अभयारण्य उदयपुर, राजसमंद और पाली में फैला हुआ है।
- जिसे भेड़ियों की प्रजनन स्थली कहते हैं।
- यह राज्य का एकमात्र अभयारण्य है दो अलग-अलग दिशाओं में बनास व साबरमती नदियों का उद्गम होता है।
- यह जंगली धूसर मुर्गे, चंदन के वृक्ष, कुंभलगढ़ दुर्ग, रणकपुर के मंदिर हेतु प्रसिद्ध है।
ताल छापर वन्यजीव अभयारण्य(चूरू)
- इस का प्राचीन नाम द्रोणपुर था।
- यह अभयारण्य काले हिरण में कुरजा पक्षी की शरण स्थली है।
- वर्षा ऋतु में यहां नरम घास मोथिया व माचिया साइप्रस रोटांड्स उगती है।
केला देवी वन्यजीव अभयारण्य
- यह अभयारण्य धोकड़ा के वनों के लिए प्रसिद्ध है।
- क्षेत्र को रणथंबोर टाइगर रिजर्व का भाग बनाया गया है।
केसर बाघ अभयारण्य (धौलपुर)
- इस अभयारण्य में मिलिट्री स्कूल चलता है।
रामसागर वन्यजीव अभयारण्य (बाड़ी धौलपुर)
वन विहार अभयारण्य (धौलपुर)
बंद बरेठा वन्यजीव अभयारण्य (भरतपुर)
- इससे परिंदों का घर कहते है जो जरखो के लिए प्रसिद्ध है।
बस्सी वन्यजीव अभयारण्य( चित्तौड़गढ़)
- यह अभयारण्य जंगली बाघों के वितरण हेतु विश्व प्रसिद्ध है।
- इसमें से ओराई व ब्राह्मणी/ वामनी नदियों का उद्गम होता है।
नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य (जयपुर)
- इसमें भारत का दूसरा बायोलॉजिकल पार्क व देश का तीसरा बीयर रेस्क्यू सेंटर स्थित है।
- राजस्थान का प्रथम जैविक पार्क है।
जमवारामगढ़ वन्य जीव अभ्यारण (जयपुर)
जयसमंद वन्यजीव अभयारण्य (उदयपुर)
- इसको जलचोरों की बस्ती के उपनाम से जाना चाहता है।
- इसमें सर्वाधिक बघेरे,बहोरा पक्षी की आश्रय स्थली व रूठी रानी का महल है।
फुलवारी की नाल वन्यजीव अभयारण्य (उदयपुर)
- इसमें देश का प्रथम ह्यूमन एनाटॉमी पार्क स्थित है।
- यहीं से मानसी वाकल नदी का उद्गम व सोम नदी प्रवाहित होती है।
शेरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य (बारा)
- इसे सर्पों की शरण स्थली कहते हैं, जहां से परवन नदी गुजरती है।
जवाहर सागर वन्यजीव अभयारण्य (कोटा और बूंदी)
- यह एक जलीय अभयारण्य हैं जो उतरी भारत का प्रथम सर्प उद्यान है।
- इसमें सर्वाधिक मगरमच्छ पाए जाते हैं।
रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य( बूंदी)
- यह अभयारण्य सांपो हेतु प्रसिद्ध है इसे रणथंबोर के बाघों का जच्चा घर कहते हैं।
सरिस्का वन्यजीव अभयारण्य
- अलवर में स्थित अभयारण्य राज्य का सबसे छोटा(3.01 वर्ग किमी) अभयारण्य है।
बीसलपुर वन्यजीव अभयारण्य
- यह टोंक की टोडारायसिंह तहसील की राज महल गांव में है।
- स्थान का नवीनतम अभयारण्य है जिसे वसुंधरा सरकार ने 2006 में अभयारण्य घोषित किया।
गजनेर वन्यजीव अभयारण्य
- बर्ड बर्ड पक्षी जिसे रेत का तीतर कहते हैं व जंगली सूअर हेतु प्रसिद्ध है।
- कनेर का गजनेर अपने पक्षी रेत का तीतर/ बडबर्ड के लिए प्रसिद्ध है।
महत्वपूर्ण तथ्य
👉 राजस्थान के खिंचन गांव ( जोधपुर) में कुरजा पक्षी बहुतायत देखने को मिलता है। जो पश्चिमी राजस्थान में भ्रमणशील पक्षी है।
👉 राजस्थान के उदयपुर जिले में सर्वाधिक संख्या में वन्यजीव अभयारण्य है।
👉 वन्यजीवों की संख्या की दृष्टि से भारत में राजस्थान का दूसरा स्थान है।
👉 राज्य का दूसरा स्पाइस पार्क (मसाला बगीचा) जोधपुर के रामपुरा भाटिया गांव में बनाया गया है।