नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से आपको राजस्थान सामान्य ज्ञान का महत्वपूर्ण टॉपिक राजस्थान के प्रमुख जैन मन्दिर और मस्जिद के बारे में बताने वाला हूँ | इस पोस्ट में मैंने राजस्थान के प्रमुख जैन मन्दिर और मस्जिद के टॉपिक को बहुत अच्छे से समझाया है |
![]() |
राजस्थान के प्रमुख जैन मन्दिर और मस्जिद | राजस्थान सामान्य ज्ञान नोट्स |
Table of content (toc)
राजस्थान के प्रमुख जैन मन्दिर और मस्जिद
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह( अजमेर)
- ख्वाजा साहब की जीवनी "होली बायोग्राफी" के लेखक 'मिर्जा वहीउद्दीन बैग' के शब्दों में ख्वाजा साहब की दरगाह कौमी एकता का शतावर चश्मा है।
- ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का जन्म 1135 ई. 14 रज्जब को संजरी( फारस) में हुआ।
- इनके बचपन का नाम खुरासान था।
- यह हजरत शेख उस्मान हारुनी के शिष्य थे
जुम्मा मस्जिद
- दरगाह की अन्य खूबसूरत इमारत संगमरमर की शाहजहानी मस्जिद है, जिसे जुम्मा मस्जिद कहते हैं।
- बादशाह शाहजहां द्वारा इसका निर्माण 1638 ई. में करवाया गया था।
- ख्वाजा साहब पृथ्वीराज चौहान तृतीय के शासनकाल में 1191 ई.में मोहम्मद गोरी के साथ भारत आए व वही अपना कार्य स्थल बनाया।
- मोहम्मद गोरी ने इन्हे "सुल्तान-ए- हिंद" की उपाधि दी।
- मक्का के बाद यह दरगाह मुस्लिम संप्रदाय का दूसरा सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है।
- इसी कारण अजमेर को भारत का मक्का कहा जाता है।
शेख़ हमिमुद्दिंन नागोरी की दरगाह ( नागौर)
- अजमेर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के शिष्य शेख हमीदुद्दीन नागोरी की दरगाह नागौर में स्थित है।
- उनके गुणों से प्रभावित होकर ख्वाजा साहब ने इन्हें सुल्ताने-ए- तारकीन( सन्यासियों का सुल्तान) की उपाधि से नवाजा था।
- फिर के बाद यहां दूसरा सबसे बड़ा उर्स आयोजन किया जाता है।
अलाउद्दीन का मकबरा
- चित्तौड़गढ़ दुर्ग की तलहटी में अलाउद्दीन खिलजी का मकबरा बना हुआ है।• इस मकबरे का निर्माण 1310 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने करवाया था।
अढाई दिन का झोपड़ा( अजमेर)
- अढाई दिन का झोपड़ा तारागढ़ पहाड़ी गीत तलहटी में स्थित है।
- इसका निर्माण बीसलदेव चौहान चतुर्थ ने 1153 ई. के आसपास संस्कृत विद्यालय के रूप में करवाया था।
- 1194 को कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा पड़वा कर मस्जिद में बदल दिया गया था। यहां प्रतिवर्ष पंजाब शाह का अढाई दिन का और लगने के कारण से अढाई दिन का झोपड़ा कहते हैं।
सैयद फखरुद्दीन की दरगाह (गलियाकोट, डूंगरपुर)
- डूंगरपुर जिले में माही नदी के किनारे गलियाकोट गांव में सैयद फखरुद्दीन की दरगाह स्थित है।
- यहां दाऊदी बौहरा, मुस्लिम संप्रदाय का प्रमुख तीर्थ स्थल है।
मरीन साहब की दरगाह( अजमेर)
- मीरान साहब की दरगाह अजमेर में( तारागढ़ ) अजयमेरु दुर्ग में दुर्ग की सबसे ऊंची चोटी पर बनी हुई है।
- इन्होंने 1202 ई. में दुर्ग की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
- दुर्ग में हजरत मीरान साहब की दरगाह परिसर में के घोड़े की मजार है दो संपूर्ण भारत में केवल अजमेर में ही है।
काका जी की दरगाह (प्रतापगढ़)
- काका जी की दरगाह प्रतापगढ़ जिले में स्थित है।
- यह दरगाह "कांठल का ताजमहल" कहलाती है।
मलिक शाह की दरगाह (जालौर)
- प्रसिद्ध संत मलिक शाह की दरगाह जालौर दुर्ग में स्थित है।
तोपखाना मस्जिद
- तोपखाना मस्जिद जालौर दुर्ग में स्थित है।
- यह प्रारंभ में प्रसिद्ध परमार वंश शासक राजा भोज के द्वारा बनाई गई पाठशाला सरस्वती कंठा भरण शाला थी।
- लेकिन 1311- 12 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने जालौर विजय की तब इसे तुड़वा कर मस्जिद में बदल दिया गया और यह अलाउद्दीन खिलजी की मस्जिद के लाने लगी।
- इस मस्जिद का प्रयोग तोपखाना के रूप में असला बारूद रखने के लिए किया जाने लगा और इस प्रकार यह मस्जिद तोपखाना मस्जिद के लाने लगी।
राजस्थान के प्रमुख जैन मंदिर
ऋषभदेव जैन मंदिर, उदयपुर
- धुलेव, उदयपुर कोई नदी के तट पर वितरित कर भगवान ऋषभदेव का विशाल मंदिर है।
- इस मंदिर में दिगंबर, श्वेतांबर, वैष्णव,शैव , भील आदि सभी वर्गों के लोग पूरी श्रद्धा के साथ पूजा उपासना करते हैं।
- इस तीर्थ को केसरिया जी/ केसरिया नाथ जी/ धुलेव का धनी या काला जी के नाम से भी जाना जाता है।
दिलवाड़ा के जैन मंदिर (सिरोही)
- माउंट आबू सिरोही में दिलवाड़ा के मंदिर स्थित है यहां कुल 5 प्रमुख मंदिर स्थित है। जिनमें से 2 मंदिर स्थापत्य कला की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
- विमल वसई आदिनाथ ऋषभदेव जैन मंदिर
- लूनवसई नेमिनाथ का जैन मंदिर
नाकोड़ा का पार्श्वनाथ मंदिर, बाड़मेर
- मित्रा से दूर भाकरिया नामक पहाड़ी पर स्थित मरू प्रदेश का यह अभिनव तीर्थ नाकोडा के नाम से भी प्रसिद्ध है।
- भक्त इन्हें "जागती जोत एवं हाथ का हुजूर" कहते हैं।
रणकपुर जैन मंदिर (पाली)
- रणकपुर का जैन मंदिर उत्तरी भारत के श्वेतांबर जैन मंदिरों में अपना विशिष्ट स्थान रखता है।
- यहां स्थित मंदिरों में तीन जैन मंदिर व वैष्णो मंदिर है।
- आदिनाथ (ऋषभदेव) जैन मंदिर
- नेमिनाथ का जैन मंदिर
- पार्श्वनाथ जैन मंदिर
- सूर्य नारायण का मंदिर
श्री महावीरजी जैन मंदिर, करौली
- गंभीरी नदी के किनारे होली जिले में स्थित विश्व विख्यात जैन समुदाय का सबसे बड़ा लोकतीर्थ है।
मुछाला महावीर, पाली
- मंदिर में स्थित महावीर स्वामी की मूर्ति की विशेषता यह है कि मूर्ति के मुख पर मूछें हैं।
आहड के जैन मंदिर, जयपुर
- यहां 10 वीं शताब्दी में निर्मित जैन मंदिरों का समूह है।
- जहां अचार्य जगच्चदासुरी को 12 वर्षों के कठोर तपोरांत तत्कालीन शासक रावजत्र सिंह ने तपा विरुद्ध प्रदान किया।
श्रृंगार चंवरी (चित्तौड़गढ़)
- चित्तौड़गढ़ दुर्ग में राजपूत व जैन स्थापत्य कला के संभाव्य का एक उत्कृष्ट नमूना है, जो श्रृंगार चंवरी के नाम से प्रसिद्ध है।
भंडा शाह जैन मंदिर/ घी वाला मंदिर
- बीकानेर नगर की स्थापना से 24 वर्ष पूर्व भंडासर जैन मंदिर को सुमित नाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
- जैन धर्म के 5वे तीर्थंकर सुमित नाथ का यह मंदिर घी वाले मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
- इस मंदिर का निर्माण गंगा शहर भीनासर के घी के व्यवसाई भांडाशाह ओसवाल द्वारा संवत 1488 में करवाया गया था।
- इस मंदिर को त्रिलोक दीपक प्रसाद भी कहा जाता है।
चमत्कार जी जैन मंदिर( सवाई माधोपुर)
- सवाई माधोपुर शहर में श्री चमत्कार जी का मंदिर स्थित है।
- इस स्थान पर प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा को मेला भरता है।
ये भी जाने-
- विश्व का एकमात्र ब्रह्मा मंदिर पुष्कर( अजमेर), भारत का एकमात्र शेर पर सवार गणेश मंदिर हेरंब गणपति मंदिर( बीकानेर) में है।
- राजस्थान का एकमात्र विभीषण मंदिर कैथून( कोटा) मैं है।
- भारत का एकमात्र त्रिनेत्र गणेश मंदिर रणथंबोर( सवाई माधोपुर), तथा राजस्थान का एकमात्र नृत्यरत गणेश मंदिर सरिस्का( अलवर) में स्थित है।
- राजस्थान का एकमात्र खड़े गणेश का मंदिर कोटा में है।
- राजस्थान का एकमात्र रावण मंदिर मंडोर जोधपुर में है।
- राजस्थान का सर्वाधिक धनी मंदिर सांवलिया सेठ का मंदिर है।