इस पोस्ट के माध्यम से आपको राजस्थान सामान्य ज्ञान का महत्वपूर्ण टॉपिक राजस्थान का इतिहास के बारे में बताने वाला हूँ | इस पोस्ट में मैंने राजस्थान का इतिहास टॉपिक को बहुत अच्छे से समझाया है |
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राजस्थान का इतिहास नोट्स |
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राजस्थान का इतिहास
- यह शब्द इति+हास से मिलकर बना है। इति का अर्थ है पहले व हास का अर्थ है घटित होना अर्थात जो पहले घटीत हुआ।
- प्राचीन काल से वर्तमान तक की प्रमुख घटनाओं का तिथि क्रम के अनुसार संकलन करना इतिहास के लाता है।
- पुरातात्विक साक्ष्य या लेखन सामग्री को निम्न तीन भागों में बांटा गया है-
- प्रागैतिहासिक
- आद्य ऐतिहासिक
- ऐतिहासिक
प्रागैतिहासिक काल :-
- इस समय के संदर्भ में कोई लिखित सामग्री प्राप्त नहीं हुई।
- केवल खुदाई से प्राप्त साक्ष्यों के सारे इतिहास के बारे में पता लगाया गया था।
- इसे निम्न तीन भागों में बांटा गया था
- पुरापाषाण काल
- मध्य पाषाण काल
- नवपाषाण काल
i. पुरापाषाण काल
बिगोद( भीलवाड़ा), मंडपिया( चित्तौड़गढ़), डीडवाना( नागौर)
इस समय के समकालीन उपकरण चीन, मयांमार, जावा आदि स्थानों से मिलते जुलते हैं। इस कारण यहां की सांस्कृति सोहन संस्कृति कहलाती है।
ii. मध्यपाषाण काल
बागोर( भीलवाड़ा), तिलवाड़ा( बाड़मेर)
iii. नवपाषाण काल
- आहड( उदयपुर), ओझियाना, गिलुंड( राजसमंद), गणेश्वर( सीकर)।
- मनुष्य ने पहिए का आविष्कार इसी काल में किया।
- खेती करना इस काल में शुरू किया।
- मनुष्य द्वारा पहला हथियार का प्रयोग कुल्हाड़ी था।
आद्य ऐतिहासिक काल
- 3000 ई. पू. से 600 ई. पू. तक।
- इस काल के लोगों को लेखन कला का ज्ञान था।
- इनकी लिपि को आज तक भी पढ़ा नहीं जा सकता, जैसे भारत की सिंधु घाटी सभ्यता, राजस्थान की कालीबंगा सभ्यता।
- पशु पालन करना इस काल में शुरू हुआ।
ऐतिहासिक काल
- 600 ई. पू. काल का समय।
- इस काल में लिखित सामग्री मिली और इसे पढ़ा भी जा सकता है।
अध्ययन की दृष्टि से काल
- प्राचीन काल
- मध्यकाल( मुगल काल)
- आधुनिक काल- 1857 की क्रांति से अब तक।
राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएं
कालीबंगा सभ्यता
- कालीबंगा सिंधी भाषा का शब्द है। जिसका अर्थ है काले रंग की चूड़ियां।
- स्थान - हनुमानगढ़ जिले में प्राचीन सरस्वती नदी किनारे।
- खोजकर्ता - अमलानंद घोष (1952)
- उत्खनन कर्ता - वी.के. थापर, वी. वी. लाल (1961-69)
- कालीबंगा सभ्यता स्थल सिंधु घाटी सभ्यता के समकालीन माना जाता है।
- प्रोफेसर दशरथ शर्मा ने कालीबंगा को सिंधु घाटी सभ्यता की तीसरी राजधानी कहां है।
- कालीबंगा एक कांस्य युगीन नगरी आघऐतिहासिक, पराग हड़प्पा कालीन/ उत्तर हड़प्पा कालीन सभ्यता स्थल है।
- स्थान - सीकर( नीमकाथाना तहसील, रेवासा गांव)
- नदी - कांतली नदी के पेटे में।
- खोजकर्ता - RC अग्रवाल (1972)
- उत्खनन - RC अग्रवाल, विजय कुमार।
- यहां प्राप्त स्थल ताम्र युगीन सभ्यता में सबसे प्राचीन स्थल है।
- अतः गणेश्वर सभ्यता को ताम्र युगीन सभ्यताओं की जननी कहा जाता है।
- इसे पुरात्व का पुष्कर कहा जाता है।
आहड़ सभ्यता( उदयपुर)
- खोजकर्ता : ए. के. व्यास( अक्षय कीर्ति व्यास)1953
- पुनः खोज : RCअग्रवाल (1956)
- उत्खनन कर्ता : धीरज कुमार संकलिया
- उदयपुर में बेड़च नदी के किनारे।
- उपनाम : अघाटपुर , ताम्र नगरी
👉विशेषताएं :
- यहां से तांबा गलाने की भटिया प्राप्त हुई है, इसलिए ताम्र नगरी के नाम से जाना जाता है।
- यहां से यूनानी तांबे की मोहरे मिली है।
- इसमें एक मुद्रा के एक और त्रिशूल दूसरी तरफ अपोलो देवता की तस्वीर है।
- यहां प्राप्त मकानों में एक से अधिक चूल्हों की संख्या देखी गई है। जिससे अनुमान लगाया लगाया जाता है कि सार्वजनिक भोजन की व्यवस्था की जाती थी।
- यहां अनाज को रखने के लिए मृत भंडार मिले जिन्हें गोरैया या कोर् कहा जाता है।
- यहां से टेराकोटा पद्धति से बनी हुई बेल की आकृति प्राप्त हुई है। जिसे बनासिया बुल की संज्ञा दी गई है।
बैराठ सभ्यता( जयपुर)
- यह प्राचीन मत्स्य जनपद की राजधानी रहा है।
- उस समय उसे विराटनगर के नाम से भी जाना जाता था।
- स्थान : बाणगंगा नदी के किनारे
- खोजकर्ता : (1936)रामबहादुर दयाराम सहानी
- उत्खनन : कैलाश दीक्षित, नील रतन बनर्जी
👉विशेषताएं :
- 1837 में कैप्टन बर्ट ने यहां से सम्राट अशोक के भाब्रू शिलालेख की खोज की।
- इस शिलालेख में सम्राट अशोक ने बुद्ध ,धम्म संघ के प्रति आस्था प्रकट की।
- वर्तमान में भाब्रू शिलालेख कोलकाता संग्रहालय में रखा गया है।
- चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत की यात्रा की इस कारण हेनसांग को तीर्थ यात्रियों का और कहां जाता है।
- बैराठ से सूती कपड़े में बंधी हुई मुद्राएं पंचमार्क सिक्के मिले हैं।
बागोर सभ्यता( भीलवाड़ा)
- स्थान : कोठारी नदी के किनारे
- उत्खनन कर्ता : वीरेंद्र नाथ मिश्र(1967-69)
- बागोर सभ्यता स्थल आदिम संस्कृति का संग्रहालय कहा जाता है।
- भारत में सबसे प्राचीन पशुपालन अवशेष यही मिले हैं। Rajasthan Ka Itihas
- बागोर में उत्खनन करते समय टीलों को महासतियो का टीला कहा जाता है।
रेड सभ्यता( टोंक)
- ढील नदी के किनारे
- यहां से हमें एशिया का सबसे बड़ा सिक्कों का भंडार मिला है। इसलिए इसे भारत का टाटानगर कहते हैं।
- इस स्थान से जनपद युग की मुद्राएं व लोहे सामग्री के भंडार मिले हैं।
- यहां से मातृ देवी की मूर्तियां वर गजमुखी पक्ष की मूर्ति प्राप्त हुई थी।
तिलवाड़ा सभ्यता( बाड़मेर)
- लूनी नदी के किनारे
सोंथी सभ्यता( बीकानेर)
- उत्खनन कर्ता : अमलानंद घोष(1952)
- यहां से कालीबंगा के समान सामग्री प्राप्त हुई है इसलिए इसे कालीबंगा प्रथम कहा जाता है।
रंगमहल सभ्यता( हनुमानगढ़)
- यह गांधार मूर्तिकला का प्रमुख केंद्र है।
नगरी सभ्यता( चित्तौड़)
- यह प्राचीन शिवी जनपद की राजधानी मध्यमीका के नाम से जानी जाती है।
बालाथल सभ्यता( उदयपुर)
चंद्रावती सभ्यता( सिरोही)
- यहां से विष्णु जी की गुरुड़ पर विराजित एकमात्र मूर्ति प्राप्त हुई।
गिलुंड सभ्यता( राजसमंद)
बयाना सभ्यता( भरतपुर)
- यहां से सर्वाधिक गुप्त कालीन सिक्के मिले हैं व नील की खेती के साक्ष्य मिले हैं।
नोह सभ्यता( भरतपुर)
- यहां पर पक्षी चित्रित इंटे मिली है।
सुनारी सभ्यता( झुंझुनू)
- यहां लोहे गलाने की प्राचीन भट्टी प्राप्त हुई।
कुराड़ा सभ्यता( नागौर)
- तांबे के ओजार की नगरी कहा जाता है।