राजस्थान की स्थिति और विस्तार | Rajasthan Geography Notes
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राजस्थान की स्थिति और विस्तार | राजस्थान सामान्य ज्ञान नोट्स |
- राजस्थान भारत देश के उत्तरी पश्चिमी में भाग में स्थित है।
- उत्तरी भाग में गंगानगर जिला, तहसील गंगानगर कोंना गांव, दक्षिण भाग में बांसवाड़ा, तहसील कुशलगढ़, बोरकुंड गांव , पूर्व में धौलपुर जिला, राजाखेड़ा तहसील, सिलाना गांव एवं पश्चिम में जैसलमेर जिला,सम तहसिल, कटरा गांव स्थित है।
- राजस्थान के मध्य में नागौर जिला आता है यदि गांव पूछा जाए तो मकराना गांव आता है।.
- राजस्थान की उत्तर से दक्षिण की लंबाई 826 वर्ग किलोमीटर है।
- पूर्व से पश्चिम की चौड़ाई 869 वर्ग किलोमीटर है।
- राजस्थान की लंबाई एवं चौड़ाई के मध्य अंतर पूछा जाए तो 43 वर्ग किमी. होता है।
- राजस्थान में सबसे पहले सूर्योदय एवं सूर्यास्त सिलाना गांव राजाखेड़ा तहसील, धौलपुर में होता है।
- सबसे बाद में सूर्योदय व सूर्यास्त कटरा गांव, सम तहसील जैसलमेर में होता है।
- पृथ्वी की जलवायु एवं स्थिति तथा समय का निर्धारण करने के लिए दो रेखाओं का अध्ययन किया जाता है।
अक्षांश
- हमारी पृथ्वी के ग्लोब पर सामान्यतया आडी ( पूरब से पश्चिम) खींची जाने वाली रेखा को अक्षांश रेखा कहा जाता है।
- जो इस पृथ्वी की जलवायु एवं स्थिति का निर्धारण करती है।
- हमारी पृथ्वी को दो सम्मान भागों में विभाजित करने वाली अक्षांश रेखा को हम 0° रेखा, भूमध्य रेखा, विषुवत रेखा कहते हैं।
- इसी अक्षांश रेखा से पृथ्वी दो भागों उत्तरी गोलार्ध एवं दक्षिणी गोलार्ध में विभाजित होती है।
- हमारा भारत देश एवं राजस्थान राज्य उत्तरी गोलार्ध में स्थित है, इसी कारण भारत या राजस्थान राज्य के लिए हमेशा अक्षांश उत्तर से उत्तर चलता है।
- दो अक्षांशों के मध्य 111.13 किलोमीटर की दूरी होती हैं।
- अक्षांश से किसी प्रदेश की स्थिति एवं ताप कटिबंधो का निर्धारण किया जाता है।
- अक्षांशों के मध्य भाग को जाल कटीबंध कहते हैं।
- कुल अक्षांश रेखाएं 180 होती हैं।
- ग्लोब पर अक्षांश रेखाएं (89°+89°+0° =179) होती है।
- मानचित्र पर (90°+90°+0°=181) होती है।
- सभी अक्षांश रेखाएं वृत का निर्माण करती है सबसे बड़ा वृत विषुवत रेखा बनाती है।
- जीरो डिग्री भूमध्य रेखा सबसे बड़ी रखा है।
- अक्षांश रेखाओं के द्वारा जलवायु का निर्धारण किया जाता है।
- 45° पश्चिमी अक्षांश ग्लोब पर प्रदर्शित नहीं होता क्योंकि 45° देशांतर होता हैं।
मुख्य अक्षांश रेखाएं निम्न है-
कर्क रेखा है :-
- यह 23½ डिग्री उत्तरी अक्षांश रेखा होती है।
- कर्क रेखा पर सूर्य की किरणें 21 जून के दिन सीधी चमकती हैं।
- इसलिए यह उत्तरी गोलार्ध भारत में इस दिन सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी रात होती है।
- यह रेखा भारत के मध्य से निकलकर भारत को दो भागों में विभक्त करती है।
- भारत में कर्क रेखा गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़ झारखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मिजोरम 8 राज्यों से गुजरती है।
भूमध्य रेखा /विषुवत रेखा
- पृथ्वी को दो (उत्तरी भाग उत्तरी गोलार्ध एवं दक्षिणी भाग को दक्षिणी गोलार्ध) में विभाजित करने के कारण इसे भूमध्य रेखा कहते हैं।
- भूमध्य रेखा पर सूर्य की किरणें 21 मार्च व 23 सितंबर के दिन सीधी चमकती हैं, कारण इस दिन पूरे विश्व में दिन व रात की अवधि समान होती है।
मकर रेखा
- यह 23½° दक्षिणी अक्षांश रेखा है।
- मकर रेखा पर सूर्य की किरणें 22 दिसंबर को सीधी चमकती है।
देशांतर
- हमारी पृथ्वी के ग्लोब पर सामान्यतया सीधी या खड़ी( उत्तर से दक्षिण) खेंची जाने वाली रेखा को देशांतर रेखा कहा जाता है।
- जो इस पृथ्वी के समय का निर्धारण करती है।
- 0 डिग्री देशांतर रेखा भी हमारी पृथ्वी को दो भागों पूर्वी एवं पश्चिमी गोलार्ध में विभाजित करती है।
- हमारा भारत देश एवं राजस्थान राज्य पूर्वी गोलार्ध में स्थित है।
- इसी कारण भारत या राजस्थान राज्य के लिए हमेशा देशांतर पूर्व से पूर्व चलता है।
- 1 डिग्री देशांतर को पार करने में सूर्य को 4 मिनट का समय लगता है।
- 1° = 1 घंटा / 60 मिनट
- 1'. = 1 मिनट /60 सेकंड
- 1" = 1 सेकंड /60 मिली सेकं
- राजस्थान का अक्षांशीय विस्तार 23°03 उत्तरी अक्षांश से 30°12 उत्तरी अक्षांश है एवं देशांतरीय विस्तार 69°30 पूर्वी देशांतर से 78°17 पूर्वी देशांतर तक है ।
देशांतर व मध्यांतर रेखा
- केंद्रीय मध्यांतर रेखा से किसी स्थान की कोणात्मक दूरी देशांतर कहलाती है।
- ग्लोब या पृथ्वी पर उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से मिलाने वाली काल्पनिक रेखा को देशांतर रेखा कहते हैं।
- कुल देशांतर रेखाएं 360 होती है।
- देशांतर 180° पूर्व या पश्चिम होते हैं
- सभी देशांतर रेखाओं की लंबाई समान होती है और को दो बराबर भागों में विभाजित करती है।
- दो देशांतर के बीच के क्षेत्र को गौर क्षेत्र कहते हैं।
- ये ग्लोब पर धूर्वो को मिलाते हुए अर्धवृत्त होती है।
- जबकि मानचित्र पर खड़ी रेखाएं के रूप में होती है।
- विषुवत रेखा पर दो देशांतर के मध्य अधिकतम दूरी 111.32किमी. एवं ध्रुव पर न्यूनतम दूरी 0 किलोमीटर होती है।
देशांतर रेखाओं के उपयोग-
- स्थिति
- निर्धारण मानचित्रण
- समय निर्धारण
केंद्रीय मध्यमान रेखा
- इसे प्रधान याम्योत्तर रेखा या ग्रीनविच रेखा भी कहते हैं।
- इस रेखा से अंतरराष्ट्रीय समय का निर्धारण होता है।
- कर्क रेखा राजस्थान के 2 जिलों डूंगरपुर की सीमा का निर्धारण करते हुए चिकली गांव मे से एवं बांसवाड़ा के मध्य कुशलगढ़ में से गुजरती है।
- राजस्थान में कर्क रेखा की लंबाई 26 किलोमीटर है।
पड़ोसी राज्य एवं पड़ोसी देश
- राजस्थान की कुल स्थलीय सीमा की लंबाई 5920 किलोमीटर है
- जिसमें से 1070 किलोमीटर अंतरराष्ट्रीय सीमा है भारत और पाकिस्तान के मध्य फैली रेडक्लिफ रेखा है
- रेडक्लिफ रेखा की कुल लंबाई 3310 किलोमीटर है।
- 216 किलोमीटर जम्मू कश्मीर, 514किमी पंजाब, 510 किलोमीटर गुजरात, 1070 किलोमीटर राजस्थान।
- शेष बचे 4850 किलोमीटर अंतर राज्य सीमा 5 राज्यों( पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश गुजरात) के साथ जुड़ती है।
राजस्थान में सीमाए दो प्रकार की पाई जाती है-
अंतरराष्ट्रीय
- दो देशों के बीच पाए जाने वाली सीमा को अंतरराष्ट्रीय सीमा कहते हैं।
- राजस्थान की पाकिस्तान से लगने वाली सीमा को रेडक्लिफ रेखा कहते हैं।
- राजस्थान के 4 जिले (गंगानगर-210, जैसलमेर-464, बाड़मेर -228, बीकानेर -168) पाकिस्तान की सीमा के साथ लगते हैं।
अंतरराज्यीय सीमा
- दो राज्यों के बीच पाई जाने वाली सीमा को अंतरराज्यीय सीमा कहते हैं।
- राजस्थान की 5 राज्यों के साथ अंतर राज्य सीमा लगती है।
- राजस्थान के पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश, पंजाब ,हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात।
- राजस्थान की अंतर राज्य सीमा मध्य प्रदेश राज्य के साथ सबसे लंबी1600किमी.और पंजाब राज्य के साथ सबसे छोटी सीमा 89 किमी. लगती है।
- पंजाब 89 किमी, हरियाणा 1262किमी., उत्तर प्रदेश 877 किमी, गुजरात 1022 किमी, मध्य प्रदेश 1600 किमी है।
यह भी जाने :-
- राजस्थान की अंतरराष्ट्रीय व अंतर राज्य सीमा पर अवस्थित जिलों की संख्या 25 है
- अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अवस्थित जिलों की संख्या चार हैं।
- अंतर राज्य सीमा पर अवस्थित जिलों की संख्या 23 हैं।
- स्थान के केवल अंतर राज्य सीमा पर अवस्थित जिलों की संख्या 21 है।
- तोक राष्ट्रीय सीमा पर अवस्थित जिलों की संख्या दो है( बीकानेर व जैसलमेर)
- राजस्थान के 2 जिले गंगानगर व बाड़मेर ऐसे जिले हैं जो अंतरराष्ट्रीय एवं अंतर राज्य दोनों सीमाओं पर अवस्थित है।
आकार
- राजस्थान का अकार पतंगाकार / विषमकोनिया चतुर्भुजाकार है।
- राजस्थान का ऐतिहासिक स्वरूप
राज्य के अलग-अलग भाग विभिन्न कालों में भिन्न-भिन्न नामों से जाने जाते रहे हैं जो निम्न है:-
- जंगल प्रदेश - महाभारत काल में वर्तमान जोधपुर व बीकानेर के क्षेत्र को जांगल प्रदेश कहते थ।
- विराटनगर - मध्य प्रदेश का उल्लेख महाभारत में मिलता है अदानी विराटनगर(बैराठ) थी। जिसमें राजस्थान का पूर्व भाग जयपुर दोसा अलवर तथा भरतपुर का कुछ भाग आता था।
- मरू प्रदेश - जंगल प्रदेश का यह रेतीला भाग मरू प्रदेश कहलाता है, मारवाड़ क्षेत्र के अंतर्गत जैसलमेर बीकानेर जोधपुर बाड़मेर तथा कुछ पाली में नागौर जिले का हिस्सा आता है।
- हाडोती प्रदेश वर्तमान में हाड़ौती प्रदेश में बूंदी कोटा झालावाड़ और बारां जिले शामिल है । यहां पर बोली जाने वाली बोली को हाडोती बोली कहां जाता है।
- ढूंढाड प्रदेश - वर्तमान जयपुर दोसा तथा उसका समीपवर्ती प्रदेश ढूंढाड़ कहलाता है, जहां पर प्राचीन समय में ढूंढ नदी बहा करती थी।
- मेवात प्रदेश- राजस्थान का उत्तरी पूर्वी भाग (अलवर भरतपुर) मेवात प्रदेश के कहलाता है।
- भोमट प्रदेश - डूंगरपुर, पूर्वी सिरोही तथा उदयपुर जिले का वह भाग जो पहाड़ी ढालो से आच्छादित है वह प्रदेश भोमट कहलाता है।
- कांठल - माही नदी के किनारे स्थित प्रतापगढ़ जिले के भू भाग को कांठल के नाम से जाना जाता है।
- ऊपरमाल - भैंसरोडगढ़( चित्तौड़गढ़) से बिजोलिया (भीलवाड़ा) के मध्य ऊपर उठा हुआ पठारी भू भाग जो कि अत्याधिक उपजाऊ है, ऊपरमाल कहलाता है।
- मेरवाड़ा - अजमेर के आसपास का पहाड़ी प्रदेश मेरवाड़ा प्रदेश के नाम से जाना जाता है।
- शेखावाटी प्रदेश के अंतर्गत चुरु, सीकर, झुंझुनू जिले आते हैं।
- देशहरो - उदयपुर में स्थित जरगा व रागा पहाड़ी के मध्य सदैव हरे भरे वृक्षों से आच्छादित रहने के कारण इस प्रदेश को देशहरो कहां गया।
- गिरवा- उदयपुर का वह क्षेत्र जो चारों और पहाड़ी क्षेत्रों से गिरा हुआ हो गिरवा कहलाता है।
- छप्पन का मैदान - प्रतापगढ़ बांसवाड़ा जिले के मध्य छप्पन नदी नालों का समूह होने के कारण यह प्रदेश छप्पन का मैदान या छप्पन प्रदेश के कहलाता है।
- राठ /अहिरवाट - अलवर जिले की हरियाणा राज्य को स्पर्श करता हुआ मुंडावर बहरोड व बानसूर का क्षेत्र अहिरवाट के नाम से जाना जाता है।
- सपालदक्ष - अजमेर, नागौर का क्षेत्र सम्मिलित रूप से सपाल दक्ष के नाम से जाना जाता है।
- चंद्रावती - सिरोही व उसके आसपास का क्षेत्र चंद्रावती के नाम से जाना जाता है।
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ReplyDeleteराजस्थान का संपूर्ण सामान्य ज्ञान
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